प्रेरणा स्रोत - बाबा बंसी वाले जी

जय हो बाबा बंशी वाले जी की

                                                                                                                   

🌿 धर्मपरायण भारत में अनंत परम् पूज्य विरक्त संत एवं महात्माओं ने जन्म लिया है। ऐसे ही संतों में शिरोमणि थे ,” ब्रह्मलीन परम् पूज्य बाबा बंशी वाले जी”।
शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में विराजमान आदि शक्ति मां शाकुम्भरी और गंगा-यमुना नदियों द्वारा सिंचित इस संपूर्ण भुक्षेत्र को आपके द्वारा स्वयं अपनी माया से कृपार्थ करना एक अद्भुत और अलौकिक रहस्य है। पिछली शताब्दी के नवें दशक में सर्वप्रथम आपके दर्शन करने वाले कुछ पुराने बुजुर्गों के अनुसार आपकी जन्मभूमि बिहार प्रांत का चंपारण स्थान बताया जाता है और वहीं जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष दिनांक ०१ जनवरी को अटूट श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
श्रीसदगुरूदेव भगवान् जी में भगवान् श्रीरामजी की समरसता , श्रीकृष्णजी की बांकी चितवन , मां अन्नपूर्णा का अनवरत भण्डार , मां लक्ष्मी की अकूत संपदा , मां सरस्वती की मधुर वीणा ; यही विशेषताएं तो समस्त गुरु भक्तों को आपने स्वयं ही प्रदान की.….।
जिस प्रकार मोर मुकुट धारी श्रीकृष्ण प्रेमी गोप – गोपियाँ उनका मुख निहारते नहीं थकते थे। ठीक इसी प्रकार समस्त भक्तजन भी भोर से रात्रि तक आपके श्रीमुख को ही निहारते और कभी एक क्षण की भी शिथिलता अनुभव नहीं करते थे। सनातन धर्म के जितने सद्ग्रंथ गहैं , उन्हें पढ़ने से यही लगता है कि वह सब आपका ही चरित्र है । अब पहले से भी कहीं और अधिक बस गये हैं गुरु परिवार के ह्रदय में !!!
मां अन्नपूर्णा अवतारी बाबा जी के अनवरत चलते भंडारों का गांव शाहजहांपुर से प्रारंभ ; तदुपरांत २८ सितंबर १९८८ से आपकी कर्मभूमि के रूप में विश्वविख्यात गांव सौराना में विशाल मंदिर , इसी क्रम में भारत 🇮🇳 के अनेकों स्थानों पर आपकी संरक्षता में बने आश्रम , जिनमें हरिद्वार में बना अतिविशाल अन्नपूर्णा आश्रम व अनेकों मंदिर, जन सेवा हेतु धर्मशालाएं और वहीं दीन दुखियों के सुविधा हेतु कईं हस्पताल ; जिनमें बाबा बंशी वाला चैरीटेबल हस्पताल रामपुरा फूल एक अविस्मरणीय धरोहर के रूप में एक कीर्तिमान हैं। असंख्य निर्धन कन्याओं के विवाह , भागवत् कथाएं , तीर्थ यात्राएं और नर सेवा नारायण सेवा के रूप में प्रतिस्थापित आपके कृतत्व को शब्दों में उकेरना असंभव ही है।
“चारों जुग परताप तुम्हारा !”है प्रसिद्ध जगत उजियारा”
“परम् सिद्ध श्रीसद्गुरु भगवान् जी के पावन श्री चरणों में पुनश्च वंदन”..✍

बाबा बंशी वाले जी - आदर्श मूरत

🌿 युगों युगों में इस पावन धरा पर आने वाले “परम् श्रदैय श्री संत शिरोमणि बाबा बंशी वाले जी” सार्वभौम सत्ता की इच्छा के अनुरूप प्रभु के चरणों मे ब्रह्मलीन हो गए। अब केवल उनका संस्मरण ही शेष है… , एक संत के रूप में अवतरित होकर , समाज को एक विशिष्ट ज्ञान का संदेश देकर ~ “नर सेवा नारायण सेवा” आदर्श सूत्र के रूप में समाज के सेवार्थ , पूर्णतः समर्पित जीवन ; निस्संदेह उनके आदर्श मूरत स्वरूप को किसी भी भाव अथवा भाषा के शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता है , आपका कृतित्व ही स्वयं में असीम और अनन्त है…….. !!!

🌿 यद्यपि समाज सेवा का पथ कोई कुसुम पथ नहीं है यह तो अनल पथ हैं। समाज सेवा करने वाले को बहुत कुछ छोड़ना पड़ता हैं । व्यक्तिगत लाभ के बहुत सारे झरोखे बंद करने पड़ते हैं । सुख की कामना को छोड़ना पड़ता है और कांटों का ताज पहनना पड़ता है। समाज सेवा के लिए ही लोकरंजन को देखते हुए ही भगवान् श्रीरामजी ने अपने नयनशलाका ह्रदय कौमुदी आसन्न प्रसवा सीता तक का परित्याग किया था ।

🌿 समाज सेवा के लिए ही भगवान् कृष्ण , महात्मा ईसा , स्वामी दयानंद , लोकमान्य तिलक , महात्मा गांधी मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगों ने ना जाने कितनी बार जहर का प्याला पिया था । समाज सेवा के कंटकाकीर्ण पथ को केवल वही अपना सकता है जिसने समाज सेवा को ईश्वर सेवा का प्रर्याप मान लिया है।

🌿 समाज सेवा का क्षेत्र बड़ा ही व्यापक क्षेत्र है यह घर और राज्य के प्राचीर को लांघते हुए देश की परिधि तक पहुंच जाता है अपने दामन में सारे संसार को लपेट लेता है। एक सच्चा समाजसेवी अहर्निश अपने देश और समाज से दुख वैर को भगाने का भागीरथ प्रयास करता रहता है वह सदैव ही पृथ्वी पर फैले समाज में स्वर्ग उतारने की चेष्टा में तत्पर रहता है ….!!!

🌿 परन्तु स्वयं किसी मान पद से सदैव निर्लोभ। अक्षरत यही दर्शन रहा श्री गुरूदेव भगवान् जी का ; संभावनाओं से परिपूर्ण यह धरा , आशान्वित अवश्य करती है कि कुछ बडभागी उनके समान अन्य किसी स्वरूप का दर्शन कर सकेंगे , ”परम् पूज्य श्री गुरुदेव जी आपका यह पूरा गुरु – परिवार आपके पदचिह्नों पर सतत् भाव से चलने के लिए सदैव ही कृत-संकल्पित है और रहेगा भी।’ आपका आशीर्वाद सभी पर बना रहे , इसी मंगल कामनाओं के साथ एक अल्प विराम लेते हुए।

बाबा बंशी वाले जी - एक युगपुरुष

बाबा बंसी वाले करीब 40 साल पहले सहारनपुर आए थे और यहां इन्होंने यमुना के किनारे अपना डेरा डाला था। इसके बाद वह सौराना गांव में आ गए, जहां इन्होंने ग्रामीणों को भक्ति का संदेश देते हुए ताउम्र धर्म का प्रचार किया। सौराना गांव हनुमान जी की विशाल प्रतिमा स्थापित कराई। इनके बारे में कहा जाता है कि वर्ष 1986 में उन्होंने सौराना गांव में पहला भंडारा किया था। इसके लिए युवाओं ने गांव से चंदा एकत्र किया था। ग्रामीण बताते हैं कि उसके बाद बाबाजी लगातार भंडारे करते रहे लेकिन कभी किसी से कुछ नहीं लिया। भक्तजनों ने उनकी झोली में जो डाल दिया उससे ही वह भंडारे का आयोजन करते थे। उनके अन्नपूर्णा भंडारे में भोजन की कभी कोई कमी नहीं आई। प्रतिवर्ष सावन और फागुन के महीने में शिवपुराण कथा कराते हुए अखंड भंडारे करते थे। बाबा बंशी वाले के सानिध्य में बडी संख्या में उनके भक्तों ने देश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन किये। बाबा बंसी वाले प्रतिवर्ष किसी न किसी धाम पर जाकर भागवत कथा व भंडारे करते थे। बाबाजी ने बडी संख्या में सामूहिक रूप से निर्धन कन्याओं के विवाह भी कराए थे